गिर्दा की कविता | जैंता एक दिन तो आलो | सारा पानी चूस रहे हो | Girda poem
गिर्दा की कविता – जैंता एक दिन तो आलो . Girda poem – ततुक नी लगा उदेख , घुनन मुनइ नि टेक, जैंता एक दिन तो आलो उ दिन यो दुनी में। जै दिन कठुलि रात ब्यालि, पौ फाटला, कौ कड़ालो, जैंता एक दिन तो आलो उ दिन यो दुनी… Read More »गिर्दा की कविता | जैंता एक दिन तो आलो | सारा पानी चूस रहे हो | Girda poem