प्रस्तुत लेख में हम उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में लोक पर्वों पर दी जाने वाले आशीष वचनो का संकलन करने जा रहे हैं। इनके मुख्य बोल जी रया जागी रया है। इन आशीष वचनो का प्रयोग कुमाऊं के चढाने वाले त्योहारों में किया जाता है। जैसे हरेला त्यौहार पर हरेला चढ़ाया जाता है और उसके बाद आता है घी संक्रांति पर्व , घी संक्रांति की शुभकामनायें देते समय सिर में घी लगाते समय भी इन आशीष वचनों का प्रयोग किया जाता है।
जी रया जागी रया लिरिक्स ( Jee Raya jagi Raya lyrics )
लाग हरयाल ,लाग दसे ,
लाग बगवाल ।
जी रया जागी रया
यो दिन यो बार भेंटने रये।
दुब जस फैल जाए,
बेरी जस फली जाईये।
हिमाल में ह्युं छन तक,
गंगा ज्यूँ में पाणी छन तक,
यो दिन और यो मास
भेंटने रये।
अगास जस उच्च है जया ,
धरती जस चकोव है जया।
स्याव जसि बुद्धि है जो ,
स्यू जस तराण है जो।
जी राया जागी राया ।
यो दिन यो बार भेंटने राये।
जी राया जागी राया का अर्थ ( Jee Raya jagi Raya lyrics meaning )
कुमाउनी भाषा में कहे जाने वाले इन आशीष वचनो का अर्थ होता है ,जीते रहो ,खुश रहो। हर साल इसी दिन आपकी और मेरी मुलाकात होती रहे। तुम्हारी जड़े दूर्वा जैसी मजबूत हों बेरी की तरह फूलो फलो। जब तक हिमालय में बर्फ रहेगी और जब तक गंगा जी में पानी रहेगा ,तब तक तुम्हारी और मेरी मुलाकात होती रहे। आसमान बराबर ऊचे हो जाओ। धरती के बराबर चौड़े हो जाओ। सियार जैसी बुद्धि हो जाये तुम्हारी। तुम्हे सिंह जैसी ताकत मिल जाय। जीते रहो ,जागते रहो ,खुश रहो।
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