Kachha Ghada by RAHGIR | एक कच्चा घड़ा हूँ मैं
एक कच्चा घड़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं फ़िर भी बरसात में खड़ा हूँ मैं। बूँदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है कि मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ पर वो बेवकूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ। ऐसे पहले भी लड़ा हूँ मैं एक… Read More »Kachha Ghada by RAHGIR | एक कच्चा घड़ा हूँ मैं