कुमाऊनी होली गीत – कुमाऊनी होली भारत के प्रसिद्ध होलियों में एक है। दो माह तक चलने वाला यह कार्यक्रम खास होता है। वैसे तो कुमाऊनी होलियों की शुरुवात पौष माह के रविवार से शुरू हो जाती है। लेकिन बसंत पंचमी से बैठकी होलियों का सिलसिला शुरू हो जाता है। रंग एकादशी से रंगभरी खड़ी होलियों की शुरुवात हो जाती है। कुमाऊनी होली 3 प्रकार की होती है।
- बैठकी होली
- खड़ी होली
- बैठकी होली
उत्तराखंड की विशेष कुमाऊनी होली के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि इनकी शुरुवात चाँद राजाओं के समय से हुई थी। कुमाऊनी बैठकी होलियों में कही कही उर्दू का प्रभाव दिखता है और इन्हे शात्रीय संगीत की धुनों पर गाया जाता है। यहाँ कुछ कुमाऊनी प्रसिद्ध होलियों के बोल ( Kumaoni holi lyrics ) अपडेट कर रहे हैं।
कुमाऊनी होली गीत , ” सिद्धि के दाता विघ्न विनाशन “-
सिद्धि के दाता विघ्न विनाशन ,होली गीत प्रसिद्ध कुमाऊनी होली गीत है। होलियों की शुरुवात करते समय अमूमन यह गीत गाया जाता है।
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
गौरी को नन्दन, मूसा को वाहन ।
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
लाओ भवानी अक्षत चन्दन।
पूजूँ मैं पहले जगपति नन्दन।
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
गज मोतियन से चौक पुराऊँ,
अर्घ दिलाऊँ पुष्प चढ़ाऊँ ।
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
डमरू बजावै संभु-विभूषन,
नाचै गावैं भवानी के नन्दन ।
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
शिव के मन माहि बसे काशी ,” प्रसिद्ध कुमाऊनी होली गीत के लिरिक्स “-
भगवान् शिव को समर्पित यह प्रसिद्ध होली कुमाऊँ के लगभग सभी क्षेत्रों में गायी जाती है। यहाँ पढ़िए कुमाऊँ की इस प्रसिद्ध होली गीत के बोल ( Kumauni holi song lyrics )
शिव के मन माही बसे काशी -2
आधी काशी में बामन बनिया,
आधी काशी में सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी
काही करन को बामन बनिया,
काही करन को सन्यासी।।
शिव के मन माही बसे काशी
पूजा करन को बामन बनिया,
सेवा करन को सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी
काही को पूजे बामन बनिया,
काही को पूजे सन्यासी।
शिव के मन माही बसे काशी
देवी को पूजे बामन बनिया,
शिव को पूजे सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी।
क्या इच्छा पूजे बामन बनिया,
क्या इच्छा पूजे सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी
नव सिद्धि पूजे बामन बनिया,
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी।
शिव के मनमाही बसे काशी।
जल कैसे भरु जमुना गहरी –
कुमाऊँ की प्रसिद्ध महिला होली में गाया जाने वाला गीत ,” जल कैसे भरु जमुना गहरी के लिरिक्स यहाँ संकलित किये गए हैं। वैसे यह गीत अधिकांश कुमाऊनी महिला होली में गाया जाता है। लेकिन कई बार इसे पुरुष कुमाऊनी खड़ी होलियों में भी प्रयोग किया जाता है।
जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी- 2
ठाड़ी भरू राजा राम जी देखे
हे ठाडी भरू राजा राम जी देखे
बैठी भरू भीजे चुनरी..
जल कैसे भरू जमुना गहरी
होली है ………..
जल कैसे भारू जमुना गहरी-2
धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
हे धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
धमकि चलु छलके गगरी…….जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी-2
गोदी पर बालक सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक सिर पर गागर
पर्वत से उतरी गोरी…जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी-2