मकर संक्रांति पर्व को उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में घुघुतिया पर्व के रूप में मनाया जाता है। घुघुतिया के दिन आटे और गेहूं से मिश्रित एक खास पकवान बनाया जाता है जिसे घुघुत कहते हैं। इन घुघुतों को बच्चे दूसरे दिन घुघुतिया त्यौहार के गीत , ” काले कावा काले घुघुती माला खा ले ” गा कर कौओ को खिलाते हैं। जगह -जगह उत्तरायणी मेले आयोजित किये जाते हैं। सांस्कृतिक प्रोग्राम होते हैं। हर्षोउल्लास से मकर सक्रांति के स्थानीय सांस्कृतिक रूप घुघुतिया त्यौहार मनाया जाता है।
घुघुत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में फाख्ता या अबाबील पक्षी को कहा जाता है। आटे और गुड़ के घोल को गूँथ कर प्रतीकात्मक घुघुतिया बनाये जाते हैं। इस पोस्ट में घुघुतिया त्यौहार पर गाये जाने वाले लोकगीत का संकलन किया हैं। उत्तराखंड के लोक त्यौहार के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए दिए यहाँ देखें – घुघुतिया त्यौहार क्या है ? और कैसे मनाया जाता है ?
घुघुतिया त्यौहार पर गाये जाने वाले लोक गीत के बोल ( lyrics ) –
काले कावा काले घुघुत की माला खा ले।
लै कावा बोड़ , मिकै दै सुनु घ्वाड़।
काले कावा …
लै कावा लागोड़ , मिकै दै भाई बैणियों दगड़।
लै कावा भात ,मिकै दै सुनक थात।
लै कावा ढाल , मिकै दै सुनुक थाल।
काले कावा काले ………..
लै कावा पुरी , मिकै दै सुनुक छुरी।
काले कावा काले घुघुती माला खा ले लोक गीत का हिंदी अनुवाद –
इस लोक गीत में कौए के हिस्से के पकवान बहार रख कर एक-एक करके सारे भोज्य खाने के लिए आमंत्रित करते हैं। और बदले में अपने लिए मनपसंद कीमती चींजे मांगते हैं। जैसे – काले कव्वे काले घुघुत की बनी माला खा ले। ले कव्वे दाल बड़ा खा ले और मुझे सोने का घोडा दे दे। ले काले कव्वे पूरी खा ले। और मुझे सोने की छुरी दे दे। ले काले कव्वे भात खा ले और मुझे सोने साम्राज्य दे दे।
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