झोड़ा गीत ( Jhora song ) –
झोड़ा गीत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के निवासियों का लोक गीत है। इस गीत को गाते हुवे इस क्षेत्र के निवासी एक विशेष नृत्य करते हैं जिसे झोड़ा नृत्य कहा जाता है। यह एक लोकनृत्य गीत है। लोकनृत्य गीत इसलिए कहते हैं ,क्योंकि यहाँ के लोग एक दूसरे हाथ पकड़कर वृत्ताकार में पदचाप मिलाते हुए नृत्य करते हैं और इस नृत्य के साथ साथ एक लोकगीत भी गाते हैं ,जिसे झोड़ा गीत कहते हैं। प्रस्तुत ब्लॉग में हम कुछ झोड़ा गीत लिरिक्स ( बोल ) लिख रहें है। यदि आपको ये पारम्परिक कुमाऊनी झोड़ा लिरिक्स पसंद आते हैं तो इन्हे शेयर अवश्य करें।
” खोलि दे माता , खोलि भवानी ” पारम्परिक कुमाऊनी झोड़ा || ” kholi de mata khol bhawani , ” kumauni jhora
ओ हो, गोरी गंगा भागीरथी के के भल रेवाड़ा।
ओ हो, खोली दे माता खोली भवानो धरम केवाड़ा ।
ओ हो, के ले रेछे भेट पाखोवा के खोलू केवाड़ा ..!
ओ हो, द्वी जोयां का लाखा ल्ये रयूँ खोली दे केवाड़ा ..!
ओ हो, गोरी गंगा भागीरथी क के भलो रेवाड़ा ….
ओ हो खोली दे माता खोली भवानी धरम केवाड़ा…
ओ हो, के ले रेछे भेट पाखोवा के खोलू केवाड़ा ..!
ओ हो द्वी जोड़ा निसांण लं रयूं खोली दे केवाड़ा…
ओ हो गोरी गंगा भागीरथी के के भलो रेवाड़ा !
ओ हो खोली दे माता खोली भवानी धरम केवाड़ा…
ओ हो, के ले रेछे भेट पाखोवा के खोलू केवाड़ा ..!
ओ हो सुनुक छत्र लै यूँ माता त्यारा दरवारा..!
ओ हो गोरी गंगा भागीरथी क के भलो रेवाड़ा..!!
ओ हो खोली दे माता खोली भवानी धरम केवाड़ा..!
ओ हो मीं हणि सुपल हये तु छै मेरी माता..!
ओ हो भर पुर भनार तब छ तेरी बाता ..!
ओ हो गोरी गंगा भागीरथी के के भल रेबाड़ा…
ओ हो खोली दे माता खोली भवानी धरम केवाड़ा…
झो हो तू देवी सुफल हये म्यार धरिये खयाला…
ओ हो तू हुणी दंडाग करू मिं रतिया ब्यावा !!
कुमाऊनी झोड़ा लिरिक्स ” चकोटे की पार्वती ” { chakote ki parvati,kumaoni jhora }
चौकोटे की पार्वती त्वीले धारो बोला बली !
त्वीलै धारो बोला, बलि !
मासी को प्रताप लौंडा, त्यील धारो बोला
त्वीले धारो बोला बलि ।
ग्यूँ खाया ससले बलि ।
चौकोटी में खाली तेरी
हिटछ उसले बलि ॥
हिटछ उसले बली ।
चौकोटै की……..
मासी को………….
मांछी को रगत बली ।
मांछी को रगत बलि
तू मेरि जोग्याण बली
मैं तेरों भगत बलि…
चौकोटे को पार्वती
मासि को….
पाणि की नहर बलि !
पाणि की नहर बलि !!
कि तु आ कि मैं लिजा,
कि दि जा जहर बलि !!
चकोटे की पार्वती ….
मासि को ….
पिसुआ का गुना बलि ।
पिसुआ का गुना बलि ।।
मायादार मैं लं भयं
तू छँ अनाधुना बलि ।।
चौकोटे की पार्वती …..
मासि को …
पाणि की नहर बली !
पाणि की नहर बलि !
कि तु आ, कि मैं लिजा,
कि दि जा जहर बलि !!
चौकोटै कि….
मासी को …
पिसुआ का गुना बलि
पिसुआ का गुना बलि
मायादार मैं ले भयूं
तू छे अनाधुना बलि….
“रौकी लछिमा ” कुमाउँनी झोड़ा (raiki lachhima , Pahari Jhora lyrics )
रौकी लछीमा असि गोरू न बेचा ,
भैंस लछीना आली सौ बाकारा ।
रौको लछीमा महुवा नि खानि ,
कैछी लछीमा ग्यूं है गो अकरा ।
भैंस लछीमा साली सौ बाकरा।।
रौको लछीमा असि….
रौकी लछीमा निमुआ सानण ।
रौकी लछीमा तक नै मानण ।।
रौकी लछोमा अति….
भैंस लछिमा..
रौकी लछीमा हपूरा बजाणि,
धूरा लछीला बांज की हवा छ !
रौकी लछीमा आजु का जाइयां
बटि लछीमा कब की अवै छ ।।
रौकी लछीमा असि ..
भैंस लछीमा ..
रौकी लछीमा अस्थालो को रेटा ।
रौकी लछीमा कब होली भेटा ।।
रौकी लछीमा असि…
भैंस लछीमा …
” मार झपेका ” कुमाउनी झोड़ा गीत {Maar jhapekaa , Kumauni jhoraa }
मार झपैका सुरम्यामी कौतिका लै रौ
मार झपैका …
मार झपैका मैं लै कि जै ऊँलो ज्यू हो
मार झपैका …
मार झपैका त्यारा स्वामी घर न्हैति
मार झपैका ..
मार झपेका मैं हुणी के ल्याला ज्यू हो
मार झपैका …
मार झपैका त्वे हुणि रिसाला ब्वारी
मार झपैका …
मार झपैका देबि ज्यू का थान ब्वारि
मार झपैका ..
मार झपैका नागरा निशाणा ब्वारी
मार झपैका…
मार झपैका सला रुख घूम ज्यू हो
मार झपैका ….
मार झपेका जवानि की धूम ज्यू हो
मार झपैका…
मार झपैका द्वि बिन बचण ज्यू हो
मार झपंका..
मार झपैका हँसि खेलि व्हीणा ज्यू हो
मार झपैका …
मार झपैका सुरम्याली कौतिक ले रौ
मार झपैका…
” न्योली कुरि हौलि झुरि ” कुमाऊनी झोड़ा गीत –
बांज की हवा छू रे ,
न्योली कुरि हौलि झुरि !
हौलि झरि रं छ,
कव की अवै छू रे …
न्यौली कुरि हौलि झुरि !!
हौलि झुरि रैछ,
निमुवे की दाणि रे !
न्योलि कुरि हौलि झुरि …
हौलि झुरि रै छ ,
रिठु कसि दाणि रे।
न्यौलि कुरि हौलि झुरि….
हौलि झुरि रैछ,
पितवै को थालि रे ।।
न्योलि कुरि हौलि झुरि …
हौलि झुरि रैछ,
तेरि आंखि मैं खालि रे।।
न्यौलि कुरि हौलि झुरि….
” ओ दरी हिमाला दरी ” कुमाऊनी लोक गीत {O dari himaala dari Kumaoni lok geet }
ओ दरी हिमाला दरि-ताछुम ताछुमा दरि।
खेल दी दरि का दरि-ताछुम ताछुमा दरि।
पड़ि गो बरफा दरि।
पंछी हुन्यू-उड़ि उन्यू,
मैं तेरि तरफा दरि ।
तेरि गावा मूंगे की मावा ,
मेरि गावा जंजीरा दरि ।
तेरि मेरि मेट होलि,
देवि का मंदिरा दरि ।
पार डाना देवि छन ,
दूध लै नवायो दरि ।
तेरो जूठो मैं नि खाछ्यूँ,
माया ले खयायो दरि ।
ओ दरि हिमाला दरि …..
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