Skip to content
Home » को छै तू ? शेर सिंह बिष्ट ” शेरदा अनपढ़ ” की कविता | Sherda Anpadh poem

को छै तू ? शेर सिंह बिष्ट ” शेरदा अनपढ़ ” की कविता | Sherda Anpadh poem

  • Poeam
को छै तू

को छै तू ?

 भुर-भुर उज्याई जसी जानि रते ब्याण ।

भिकुवे सिकड़ी कसि उडी जै निसाण ।।

खित करने हसण और झऊँ कने चान् 

क्वाथिन कुत्काई जै लगनु मुखक बुलान्।।

मिसिर जै मिथ लागू के कार्तिकी मौ छे तू

पूषेक पाल्यु जस ओ खड्यूनी को छै तू ।।

दै जसी ग्वर उजई और बिगोद जै चिटी  ।

हिसाऊ किल्मोड़ी कसि मणि खट्ट मीठी ।।

आँख की तारी कसि आँख में ले रीटि।

ऊ देई फुलदेई है जै जो देई तू हिटी ।।

हाथ पाटने हरै जाँ छै कि रूड़िक दयो छै तू ।

सुर सुरी बयाल जसी ओ च्यापनि को छै तू ।।

जाले छै तू देखि छै, भांग फूल पात में ।

और नौड़ी जै बिलै रे छै म्येर दिन रात में ।।

को फूल अंगाव हालू रंग जै सबु में छै ।

न तू क्वे न मैं क्वे मी तू में तू मी में छै ।।

तारु जै अनवार हंसे धार पर जो छै तू ।

ब्योली जै डोली भिदेर ओ रूपसी को छै तू।।

उतुके चौमास देखि छै तू उतुके रूड़

स्यूनकि सनगी देखि छै उतुके स्यून

कभी हरयाव चढ़ी और कभी कुंछई च्यूड़।

गद्युड़े छाल भिदेर तू ककड़ी फुल्यूड़।।

भ्येर पे अनार दानी और भिदेर पे स्यो छै तू।

नौ रति पौ जाणी, ओ दाबणी को छै तू ।।

ब्योज में क्वाथ में रे छै, और स्वैणा में सिरान।

म्येर दगे भल लगे मन में दिशान।।

शरीर मातन् में त्वी छै तराण।

जानि को जुग बति जुग जुगे पछ्यान् 

साँसों में कुत्कने है सामणि जै कि छै तू ।

मायदार माया जस ओ लम्छिनी को छै तू ।।

 

कवि के बारे में –

 

यह कविता उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि शेर सिंह बिष्ट ” शेरदा अनपढ़ ” की कुमाउनी कविता है। इस कविता में कवि पहाड़  की लड़की की सुंदरता ,मासूमियत को बड़े सूंदर तरीके से कुमाउनी शब्दों में बयां किया है। 13 अक्टूबर 1933 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में जन्मे शेर सिंह बिष्ट की कविताओं में पहाड़ का जीवन समाया रहता है। शेर सिंह बिष्ट कुमाऊं के एकमात्र कवि हैं ,जो अपने नाम के पीछे अनपढ़ उपनाम लगाते हैं। बापू का स्वास्थ्य ज्यादा खराब रहने के कारण इनको, घर और जमीन दोनो बेचने पड़े। इस वजह से  इनके परिवार की आर्थिक स्थिति और ज्यादा  ख़राब हो गई थी। पिता के गुजरने के बाद इनकी माता जी ने, दूसरे  के खेतों में, मजदूरी करके सारे परिवार भरण पोषण किया। पुराने जमाने मे पहाड़ो में पढ़ाई लिखाई पर इतना महत्त्व नही दिया जाता था। इसी  कारण शेर सिंह बिष्ट,शेरदा अनपढ़ कभी स्कूल नही गए।

शेर सिंह बिष्ट जी ने अपनी माँ का  हाथ बटाने के लिए एक अध्यापिका के घर नौकरी की। और उसी ने उन्हें पढ़ाया। इसके बाद शेर सिंह फ़ौज में भर्ती हो गए। शेर सिंह बिष्ट की मृत्यु 20 मई 2012 क़ो हुई थी। शेर सिंह बिष्ट का पूरा जीवन परिचय पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। …

इन्हे भी पढ़े –

गिर्दा की कविता | जैंता एक दिन तो आलो | सारा पानी चूस रहे हो | Girda poem

बाना परूली कुमाऊनी गीत के बोल | Bana Paruli kumauni Song Lyrics

कुमाऊनी झोड़ा लिरिक्स || झोड़ा गीत लिरिक्स || Kumauni Jhora lyrics || Pahari Jhora lyrics

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *