को छै तू ? शेर सिंह बिष्ट ” शेरदा अनपढ़ ” की कविता | Sherda Anpadh poem
को छै तू ? भुर-भुर उज्याई जसी जानि रते ब्याण । भिकुवे सिकड़ी कसि उडी जै निसाण ।। खित करने हसण और झऊँ कने चान् क्वाथिन कुत्काई जै लगनु मुखक बुलान्।। मिसिर जै मिथ लागू के कार्तिकी मौ छे तू पूषेक पाल्यु जस ओ खड्यूनी को छै तू ।। दै… Read More »को छै तू ? शेर सिंह बिष्ट ” शेरदा अनपढ़ ” की कविता | Sherda Anpadh poem